Skip to main content

सरकार की प्राथमिकता प्रत्‍येक व्‍यक्ति की जिंदगी को बचाना है: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री कार्यालय


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया

आज की चर्चा रचनात्मक एवं सकारात्मक राजनीति को दर्शाती है और भारत की सुदृढ़ लोकतांत्रिक नींव व सहकारी संघवाद की भावना की फि‍र से पुष्टि करती है: प्रधानमंत्री

देश में स्थिति ‘सामाजिक आपातकाल’ जैसी है;  इसके मद्देनजर कठोर निर्णय लेना जरूरी हो गया है और हमें निश्चित तौर पर निरंतर सतर्क रहना चाहिए: प्रधानमंत्री

राज्यों, जिला प्रशासन और विशेषज्ञों ने वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन की समयसीमा बढ़ाने का सुझाव दिया है: प्रधानमंत्री

राजनीतिक दलों के नेताओं ने आवश्‍यक जानकारियां दीं, नीतिगत उपाय सुझाए, लॉकडाउन और आगे की राह पर विचार-विमर्श किया


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संसद में राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया।


प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में पूरी दुनिया कोविड -19 की गंभीर चुनौती का सामना कर रही है। उन्‍होंने यह भी कहा कि वर्तमान स्थिति मानव जाति के इतिहास में एक युगांतकारी घटना है और हमें इसके प्रभावों का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से सक्षम होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में केंद्र के साथ मिलकर काम करने वाली राज्य सरकारों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में एकजुट मोर्चा पेश करने के उद्देश्‍य से देश में राज्‍य-व्‍यवस्‍था के सभी वर्गों की एकजुटता के माध्यम से रचनात्मक और सकारात्मक राजनीति देखने को मिल रही है। उन्‍होंने कहा कि चाहे सामाजिक दूरी बनाए रखना हो या जनता कर्फ्यू या लॉकडाउन के मानदंडों का पालन करना हो, इस तरह के प्रत्येक निर्णय में सभी नागरिक अपनेपन की भावना, अनुशासन, समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ अहम योगदान दे रहे हैं, जो निश्चित तौर पर प्रशंसनीय है।


प्रधानमंत्री ने आकस्मिक स्थिति के प्रभाव को रेखांकित किया, जैसा कि संसाधन की कमी के रूप में देखा गया। इसके बावजूद भारत उन कुछ चुनिंदा देशों में से एक है जो वायरस के फैलाव की गति को अब तक नियंत्रण में रखने में सफल रहे हैं। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि स्थिति लगातार बदलती रहती है, अत: सदैव सतर्क रहने की जरूरत है।


प्रधानमंत्री ने यह बात रेखांकित की कि देश में स्थिति ‘सामाजिक आपातकाल’ जैसी है। देश को कठोर निर्णय लेने के लिए विवश होना पड़ा है और उसे आगे भी निरंतर सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई राज्य सरकारों, जिला प्रशासन और विशेषज्ञों ने लॉकडाउन की समयसीमा बढ़ाने का सुझाव दिया है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि इन बदलती परिस्थितियों में देश को अपनी कार्य संस्कृति और कार्यशैली में बदलाव लाने के लिए एक साथ प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता प्रत्येक व्‍यक्ति‍ की जिंदगी को बचाना है। उन्होंने कहा कि देश कोविड-19 के कारण गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, और सरकार उनसे पार पाने के लिए प्रतिबद्ध है।


भारत सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने ‘पीएम गरीब कल्याण योजना’ के तहत मिल रहे लाभों के वितरण की स्थिति सहित उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर विस्तृत प्रस्तुतियां दीं।


राजनीतिक दलों के नेताओं ने बैठक के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया, उनके द्वारा समय पर किए गए आवश्‍यक उपायों की सराहना की और इसके साथ ही कहा कि पूरा देश संकट के समय उनके पीछे एकजुट खड़ा है। इन नेताओं ने स्वास्थ्य कर्मियों के स्वास्थ्य एवं मनोबल को बढ़ाने, परीक्षण सुविधाओं में तेजी लाने, छोटे राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की सहायता करने की आवश्यकता और भूखा रहने एवं कुपोषण की चुनौतियों से निपटने के बारे में चर्चा की। इन नेताओं ने महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में देश की क्षमता बढ़ाने के लिए आर्थिक और अन्य नीतिगत उपाय करने के बारे में भी चर्चा की। इन नेताओं ने लॉकडाउन की समाप्ति‍ पर इसे चरणबद्ध ढंग से हटाने और लॉकडाउन की समयसीमा बढ़ाने के बारे में सुझाव दिए।


प्रधानमंत्री ने रचनात्मक सुझाव और जानकारियां देने के लिए इन नेताओं का धन्यवाद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस लड़ाई में सरकार की सहायता करने की उनकी प्रतिबद्धता देश की सुदृढ़ लोकतांत्रिक नींव और सहकारी संघवाद की भावना की फि‍र से पुष्टि करती है।


केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और देश भर के राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस विचार-विमर्श में भाग लिया।


Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...