बारिश के रुके हुए पानी सा है जीवन,
हर अगले पल , धरा में धसता जीवन।
बारिश की दलदल सा बनता जीवन,
अपने सपनो के मकड़जाल फसता जीवन।
भारी बारिश के बाद,बाढ़ के रुके पानी सा जीवन,
अपनी मिटती सब इच्छाओं पर भी हँसता जीवन।
ना जाने किस और भटकता हर पल मेरा ये मन,
तेज हवाओं में बारिश सा दिशा बदलता मेरा जीवन।
नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).
Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर
Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar
Comments