Skip to main content

अपराधियों में खौफ जरूरी, फाँसी ही होना चाहिए : मंत्री डॉ. मिश्रा

आवास निर्माण की संभावनाएँ तलाशें, प्रस्ताव तैयार करें और कार्य करें
पुलिस मुख्यालय में हुई विभागीय समीक्षा
 


भोपाल : शुक्रवार, अगस्त 28, 2020, 19:48 IST


गंभीर अपराधों में संलिप्त अपराधियों से सख्ती से निपटना आवश्यक है। सभ्य समाज से अपराध और अपराधियों को खत्म करने के लिये अपराधियों में कानून का खौफ जरूरी है। घृणित और नृशंस अपराध करने वालों की सजा फाँसी ही होनी चाहिए। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने पुलिस मुख्यालय में विभागीय समीक्षा करते हुए पुलिस के आला अधिकारियों को अपराधों की उत्कृष्ट तरीके से विवेचना करने के निर्देश दिये। डॉ. मिश्रा ने प्रदेश में कार्यरत सभी पुलिस कर्मियों के लिये आवास की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये आवास निर्माण की सभी संभावनाओं को तलाशने, आवश्यक प्रस्ताव तैयार करने और क्रियान्वयन की कार्यवाही के भी निर्देश दिये। बैठक में पुलिस महानिदेशक श्री विवेक जोहरी, अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा एवं पुलिस के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।


मंत्री डॉ. मिश्रा ने महिला अपराध की समीक्षा करते हुए कहा कि क्रूरतापूर्वक किये गये अपराधों के लिये दंड में किसी प्रकार की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। अपराधियों को फाँसी की सजा दिलाने के लिये जरूरी है कि विवेचना का स्तर उच्च रहे, जिससे की अपराधी बच न सके। उन्होंने अपराध नियंत्रण के लिये सतत मॉनिटरिंग के निर्देश दिये। बैठक में बताया गया कि महिला एवं बाल अपराध में फाँसी की सजा संबंधी 6 मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जबकि 34 में सजा का क्रियान्वयन होना है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री संजय माने ने बताया कि महिला अपराध के मामलों में 60 दिवस की निर्धारित अवधि में 47 प्रतिशत निराकरण के साथ मध्यप्रदेश देश में अग्रणी स्थान पर है।


सभी पुलिस‍कर्मियों को आवास उपलब्ध कराना प्राथमिकता


मंत्री डॉ. मिश्रा ने समीक्षा करते हुए कहा कि सभी पुलिस कर्मियों को उनके बेहतर कर्त्तव्य निर्वाहन के लिये कार्यस्थलों पर आवास उपलब्ध कराना प्राथमिकता है। उन्होंने पुलिस आवासों के निर्माण के लिये शासकीय स्तर के अतिरिक्त पीपीपी मोड़ पर भी संभावनाएँ तलाशे जाने के निर्देश दिये। बैठक में बताया गया कि प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस कर्मियों के लिये 20 हजार आवासों के निर्माण हेतु 15वें वित्त आयोग की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव भेजा गया है। डॉ. मिश्रा ने कहा कि सभी संभावनाओं को तलाशा जाये। पायलेट प्रोजेक्ट के आधार पर भी कार्य प्रारंभ किये जा सकते हैं।


पीड़ित खुद चुन सकेगा सरकारी वकील


मंत्री डॉ. मिश्रा ने कहा कि अपराधों से पीड़ित और गरीबों को विधिक सहायता प्राप्त करने के लिये सरकारी वकील उपलब्ध कराये जाने की सुविधा दी गई है। इसके अन्तर्गत पीड़ित को लोक अभियोजन कार्यालय में पैनलबद्ध वकीलों में से वकील को चुनने की स्वतंत्रता दी जाना जरूरी है। उन्होंने अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजौरा को इस संबंध में नियमानुसार समस्त औपचारिकता पूर्ण कर आदेश जारी करने के निर्देश दिये हैं।


महिला पुलिस वालेंटियर योजना का क्रियान्वयन


मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बैठक में महिला पुलिस वालेंटियर योजना के क्रियान्वयन में आ रही वित्त एवं तकनीकि समस्याओं के निदान के लिये वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा से दूरभाष पर चर्चा की। उक्त योजनान्तर्गत प्रदेश के 35 हजार 870 वार्ड एवं ग्राम पंचायतों में महिला स्वयं सेवक की तैनाती की जानी है। ये पुलिस एवं जनता के मध्य सेतु का कार्य करेंगी। केन्द्र सरकार द्वारा पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में मुरैना एवं विदिशा जिले का चयन किया गया है। मंत्री डॉ. मिश्रा ने सम्पूर्ण प्रदेश के इसके क्रियान्वयन के लिये आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर मूर्त रूप देने के निर्देश दिये हैं।


पुलिसकर्मियों के वर्दी इत्यादि भत्ते की वृद्धि पर हुआ विचार


बैठक में एडीजी प्रबंध शाखा श्री डी. श्रीनिवास राव ने अवगत कराया कि पुलिसकर्मियों को वर्ष में वर्दी एवं अन्य किट को तैयार करने और उसके रख-रखाव के लिये अभी मात्र 2500 से 3000 रूपये तक का भत्ता मिल रहा है। मंत्री डॉ. मिश्रा ने भत्ते का बढ़ाने के लिये आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिये। उन्होंने अपर मुख्य सचिव डॉ. राजौरा को निर्देशित किया कि भत्ते की वृद्धि के लिये प्रचलित कार्यवाही की पड़ताल करते हुए आवश्यक कदम उठाएँ।



Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar



Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...