फलदार पौधों को प्रदेश में ही नहीं देश में सप्लाई करती है पचमढ़ी की नर्सरियाँ
भोपाल : सोमवार, सितम्बर 28, 2020, 15:37 IST
पचमढ़ी की नर्सरियों ने आम, संतरा, नींबू, नाशपाती, संतरा, चीकू आदि फलदार पौधों को मदर प्लांट से विकसित कर प्रदेश में ही नहीं देश में सप्लाई करने में विशेष पहचान बनाई है। उद्यानिकी विभाग के अन्तर्गत होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी क्षेत्र में पोलो, पगारा और मटकुली में नर्सरियाँ है। फलदार पौधों के अनुकूल सम-शीतोष्ण जलवायु एवं पर्यावरण क्षेत्र में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के घने जंगलों के बीच सौ वर्षो से अधिक पुरानी नर्सरियों में आज भी नई-नई किस्म के फलदार पौधे तैयार किए जा रहे है।
पचमढ़ी क्षेत्र में 5.8 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली सबसे पुरानी पगारा नर्सरी है। इसकी स्थापना 113 वर्ष पहले 1907 से हुई थी। नर्सरी की स्थापना उन्नत किस्म के फलदार पौधों के मदर प्लांट लगाकर उनका रख-रखाव करने के लिए की गई थी। नर्सरी में सौ साल पुरानी प्राकृतिक स्त्रोत से पेड़ों को पानी देने की सिंचाई के लिए स्थापित पाईप लाईन आज भी उसी प्रकार काम कर रही है। जैसे शुरू में करती थी। नर्सरी में आम, कटहल, चीकू, ऑवला आदि के 462 मदर प्लांट है। इन मदर प्लांट से तैयार पौधे प्रदेश की दूसरी नर्सरियों में और सीधे किसानों को प्रदाय किये जा रहे है। पगारा नर्सरी बाम्बे ग्रीन आम की किस्म और रसदार आंवला, चीकू के पौधों के लिए प्रसिद्ध है। बाम्बे ग्रीन आम की किस्म आम की दूसरी किस्मों की तुलना में सबसे पहले मई के दूसरे सप्ताह में मिलना शुरू हो जाती है। बाम्बेग्रीन आम की किस्म देश में सर्वाधिक पसंद की जाने वाली आम की किस्मों में से एक है।
समशीतोष्ण जलवायु के क्षेत्र में जहाँ पर गर्मी के दिनों में भी अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेंटीग्रेट से अधिक नहीं होता पचमढ़ी का वह स्थान है पोलो। पोलो में स्थित नर्सरी में लीची, चीकू, अनार, नींबू, संतरा मोसंबी आदि के साढ़े तीन हजार मदर प्लांट हैं। पोलो नर्सरी 24 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है और इसकी स्थापना 72 वर्ष पहले 1948 में हुई थी। नर्सरी को एन.एच.वी. के 5 में से उत्कृष्ट 3 की रेटिंग प्राप्त है। पचमढ़ी आने वाले पर्यटक पोलो नर्सरी से पौधे ले जाना नहीं भूलते। प्रदेश में नाशपाती के पौधों को सबसे पहले पोलो नर्सरी में ही रोपड़ किया गया था। पोलो नर्सरी में तेजपत्ता, दालचीनी, केरम्बोला, कालीमिर्च आदि के पौधे भी तैयार किये जाते है और उनका राज्य के अन्य जिलों की नर्सरियों और किसानों को भेजा जाता है। पोलो में उत्पादित नाशपाती की महाराष्ट्र की नागपुर और अमरावती मंडियों में भी मांग रहती है।
लगभग 34 हेक्टेयर क्षेत्र में फेली प्रदेश की सबसे बड़ी नर्सरी पचमढ़ी क्षेत्र की मटकुली नर्सरी है। फलदार पेड़ों की उत्तम एवं प्रमाणित पौध के वितरण के साथ उन्नत किस्म के फलदार पौधों के मदर प्लांट का रोपण एवं रखरखाव में मटकुली नर्सरी की विशिष्ठ पहचान है। नर्सरी में कुल मदर प्लांट की संख्या साढ़े चार हजार से अधिक है। नर्सरी में आम,कटहल,करौंदा,नीबू संतरा, मौसम्बी एवं अन्य फल पौध का उत्पादन किया जाता है। प्रदेश के सभी जिलों में पौध की सप्लाई के लिए शासकीय मटकुली नर्सरी मुख्य रूप से आम, नीबू एवं संतरा के फल एवं पौधों के प्रसिद्ध है।
प्रमुख नर्सरी नर्सरी (स्थापना वर्ष)क्षेत्रफल मदर प्लांट पगारा (1907) - 5.8 हेक्टेयर - 462 पोलो (1948) - 24 हेक्टेयर - 3500 मटकुली(1977) - 34 हेक्टेयर - 4543 |
मटकुली नर्सरी में पिछले 43 वर्षो से फलदार पौधों की पौध तैयार की जा रही है। नर्सरी में उत्पादित नीबू फल अत्याधिक प्रसिद्ध है। इनका विक्रय प्रदेश से बाहर अन्य राज्यों में भी किया जाता है। बिहार के पटना में मटकुली के नींबू की बहुत मांग रहती है। मटकुली नर्सरी में उत्पादित आम फल भारतीय आम महोत्सव में प्रदर्शन को भेजा गया है। इसे कई बार प्रथम पुरस्कार मिला है।
एन.एच.वी. से हुई रेटिंग में गत वर्षों में मटकुली नर्सरी को 5 में से 3 स्टार रेटिंग प्राप्त हुई जो राज्य की सबसे अच्छी नर्सरी है। मटकुली नर्सरी में आम मदर प्लांट की लगभग 18 प्रकार की किस्में हैं, जिनसे आम की स्वस्थ पौध तैयार की जाती है। राज्य से बाहर दूसरे राज्यों में इसकी बहुत मांग है। मटकुली नर्सरी विभाग में अधिकतम आय देने वाले उद्यानों में सम्मिलित है। राज्यों में स्थित नर्सरियों में अधिकतम पौधे मटकुली नर्सरी से ही क्रय कर रोपित किये गये है।
होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी क्षेत्र की नर्सरियों को और अधिक उन्नत करने के लिए परियोजना बनाई गई है। सभी नर्सरियों के पूरे क्षेत्र को चैन फेसिंग से कवर किया जायेगा। प्रदेश में उद्यानिकी फसलों का आधार है पचमढ़ी की नर्सरियाँ।
Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर
Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar
Comments