Skip to main content

शरद पूर्णिमा का महत्व


शरद पूर्णिमा का महत्व
 हिंदू पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आती है प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा का धार्मिक सामाजिक व आयुर्वेदिक महत्व है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होता है इस कारण यह तिथि विशेष महत्व रखती है पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी विचरण करती हैं इसलिए माता लक्ष्मी की पूजा करने से उनका विशेष आशीर्वाद मिलता है तथा जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है हिंदू मान्यता के अनुसार लोग उपवास पूजन करते हैं. 


आयुर्वेद और शरद पूर्णिमा
आयुर्वेद के अनुसार ऋतु विभाजन के क्रम में विसर्ग काल का विभाजन वर्षा शरद हैमंत ऋतु में होता है विसर्गकाल में सूर्य दक्षिणायन में गति करता है विसर्ग काल में चंद्रमा पूर्ण बल वाला होता है समस्त भूमंडल पर चंद्रमा अपनी किरणों को फैलाकर विश्व का निरन्तर पोषण करता रहता है इसलिये विसर्ग  काल को सौम्य कहा जाता है आयुर्वेद मत के अनुसार वर्षा ऋतु में पित्त का संचय होता है तथा शरद ऋतु में पित्त का प्रकोप होता है प्राचीन काल से ही पूर्णिमा का लोगों के जीवन में काफी महत्व रहा है क्योंकि दूसरी रातों के मुकाबले इस दिन चंद्रमा ज्यादा चांदनी बिखेरता है इस धरती पर चंद्रमा की किरणों की तीव्रता बेहद कम होती है आयुर्वेद के आचार्य चरक ने शरद ऋतु चर्या के क्रम में स्पष्ट किया है कि शरद ऋतु में उत्पन्न फूलों की माला स्वच्छ वस्त्र और प्रदोष (रात्रि के प्रथम प्रहर) काल में चंद्रमा की किरणों का सेवन हितकर होता है.


श्वास रोगी और शरद पूर्णिमा
आयुर्वेद के आचार्यों ने श्वास रोग रोग को पित्त स्थान से  उत्पन्न व्याधि  माना है श्वास रोग में शरद पूर्णिमा को खीर खाने की परंपरा है खीर दूध में चावल से बनाई जाती है आचार्य चरक ने क्षीर को जीवनीय बताया है दुग्ध रस में मधुर शीतल वीर्य शीतल गुण स्निग्ध  गुरु मंद प्रसन्न गुणों से युक्त होता है चावल शीतल वीर्य मधुर स्निग्ध त्रिदोष शामक होता है दूध व चावल से बनी हुई खीर मधुर रस वाली होती है जो पित्त  का शमन करती है शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखी हुई खीर में चंद्रमा की सौम्य किरणों के प्रभाव से शीतल गुण की वृद्धि होती है आचार्य चरक ने  लोक पुरुष साम्य सिद्धांत के संदर्भ में वर्णन किया है कि लोकगत भाव सोम पुरुष गत भाव प्रसाद गुण की वृद्धि करता है अतः शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खाने का विधान पौराणिक काल से चला आ रहा है श्वास रोगियों को विशेषत: आयुर्वेदिक औषधियों से सिद्ध खीर का सेवन करना चाहिए।



 आलेख - डॉ जितेंद्र कुमार जैन, डॉक्टर प्रकाश जोशी - शासकीय धन्वंतरी आयुर्वेद महाविद्यालय, उज्जैन


 


Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar