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नवाचारों को प्रोत्साहित करेगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति – प्रो शर्मा ; राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में हुआ राष्ट्रीय शिक्षा नीति : नवाचार और संभावनाएं पर मंथन

नवाचारों को प्रोत्साहित करेगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति – प्रो शर्मा 


राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में हुआ राष्ट्रीय शिक्षा नीति : नवाचार और संभावनाएं पर मंथन   



प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञ वक्ताओं ने भाग लिया। यह संगोष्ठी राष्ट्रीय शिक्षा नीति : नवाचार और संभावनाएं पर केंद्रित थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षाविद् डॉ शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख, पुणे,  थे। प्रमुख वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राव कुलदीप सिंह, भोपाल, डॉ  हेमंत पाल, बलरामपुर, छत्तीसगढ़,  डॉक्टर शैल चंद्रा,  सिहावा नगरी, छत्तीसगढ़, महासचिव डॉ प्रभु चौधरी एवं उपस्थित वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। 



कार्यक्रम के मुख्य वक्ता लेखक एवं संस्कृतिविद् प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अंतरानुशासनिक अध्ययन और अनुसंधान पर बल दिया गया है। बहुविषयक शिक्षा से व्यक्ति का दृष्टिकोण व्यापक होता है। इस दृष्टि से राष्ट्रीय शिक्षा नीति नवाचारों को प्रोत्साहित करने के अवसर जुटाएगी। आने वाले दौर में पाठ्यक्रम में विज्ञान और गणित के साथ  कला, शिल्प, साहित्य और संस्कृति के समावेश पर विशेष बल दिया जाएगा। समय की जरूरत के अनुरूप तकनीक के समुचित प्रयोग के लिए नई शिक्षा नीति में पर्याप्त बल दिया गया है। नई शिक्षा नीति शैक्षिक गुणवत्ता वृद्धि और तार्किकता के साथ विद्यार्थियों में संवेदनशीलता, चरित्र निर्माण और नैतिकता के प्रसार के लिए उपादेय सिद्ध होगी। शिक्षा एक अविराम प्रक्रिया है, नई शिक्षा नीति में इस बात पर विशेष ध्यान रखा गया है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षाविद् डॉ शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि नई शिक्षा नीति को तैयार करने में समाज के सभी वर्गों से सुझाव आमंत्रित किए गए थे, जिनका उपयोग इसका अंतिम प्रारूप तैयार करने में किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा पर बल दिया गया है। इससे शिक्षा के प्रति अभिरुचि बढ़ेगी। विद्यार्थी के सतत मूल्यांकन के कारण उन पर परीक्षा का अनावश्यक बोझ कम होगा।



संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने कहा कि शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के माध्यम से व्यापक सामाजिक सरोकार मूर्त होंगे। यह नीति भारतीय भाषाओं के प्रति  स्वाभिमान जाग्रत करने का अवसर दे रही है। 


प्रारंभ में संगोष्ठी की प्रस्तावना राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर शैल चंद्रा, सिहावा नगरी, छत्तीसगढ़ में प्रस्तुत की। सरस्वती वंदना साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने की। 



संगोष्ठी की विशिष्ट अतिथि डॉ पूनम गुप्ता, पटियाला, श्रीमती पूर्णिमा कौशिक, रायपुर, डॉ आशीष नायक, रायपुर, श्रीमती कृष्णा श्रीवास्तव, मुंबई, डॉ हेमंत पाल, बलरामपुर, छत्तीसगढ़, श्रीमती श्वेता गुप्ता, कोलकाता, रेनू शब्दमुखर, जयपुर आदि ने नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।



संस्था एवं आयोजन की संकल्पना का परिचय संस्था के महासचिव डॉ प्रभु चौधरी ने देते हुए नई शिक्षा नीति की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्था के उद्देश्य और भावी गतिविधियों की जानकारी दी।


डॉ आशीष नायक, रायपुर ने संस्था का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। 


राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉक्टर शिवा लोहारिया, जयपुर, डॉ सुवर्णा जाधव, मुंबई, डॉ सुनीता चौहान, मुंबई, डॉ मुक्ता कौशिक, रायपुर, डॉ रश्मि चौबे, आगरा, डॉक्टर श्वेता गुप्ता, श्री अनिल ओझा, डॉ मंजीत अरोरा, खरगोन, डॉ लता  जोशी, मुंबई, डॉ आशीष नायक, रायपुर, डॉ प्रवीण बाला, पटियाला, डॉ रिया तिवारी, रायपुर, डॉ समीर सैयद, अहमदनगर, पूर्णिमा कौशिक, रायपुर, डॉ रोहिणी डाबरे, अहमदनगर आदि सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे। 



राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का संचालन संस्था की महासचिव डॉ मुक्ता कौशिक, रायपुर ने किया। आभार प्रदर्शन संस्था के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री अनिल ओझा, इंदौर ने किया।


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